छोटी उमर में आँशु पीना,
जीना बन गया है।
सारे रिश्ते नाते स्वार्थ के,
सारे अपने केवल इर्ष्या में,
रोना भी छिपके अब
हसना भी छिपके अब,
जीने के लिये जीना जीवन बन गया है!
खाली सी रातें हैं!
कुछ लिखी पड़ी किताबें हैं,
उन्ही को पढ़ कर वक़्त बितातें हैं!
पढ़ना अब मजबुरी बन गया है,
जीने के लिये जीना अब जीवन बन गया है।
ब्तियाना बिना बर्ताव के,
इश्क़ दिखाना बिना लगाव के,
जश्न बनाना बिना चाव के!
इश्क़ अब मजबुरी बन गया है!
जीने के लिये जीना अब जीवन अब गया है।
सन्नाटा है कच्रों में!,
सुनसान है,
दिखावा है सडकों पे,
शिन्गार अब मजबुरी बन गया है,
जीने के लिये जीना अब जीवन बन गया है।
रिक़्त है मन बिना ज्ञान के,
भरे हैं स्थल बिना भगवान के,
अंध-विस्वास अब मजबुरी बन गया है!
जीने के लिये जीना अब जीवन बन गया है।
नष्ट हुआ अस्तितव,
प्यार का अब,
उसके झूठे प्यार से!
भगवान का अब,
तुम्हारे झूठे परचार से!
धर्म का अब,
धोकेदार से!
कर्म का अब,
छोटी मार से!
दहशत का अब,
दो हथियार से!
सबके लिये जीना अब मजबुरी बन गया है,
इश्क़ के लिये जीना अब जीवन नहीं रहा!
अपनो का अपनो को मारकर अपने लिये ही जीना अब जीवन बन गया है।
🙏
🥰🥰🥰 जीना मजबूरी बन गया है ।😢😢😢
ReplyDeleteYhee bro,भगवान का अब,
ReplyDeleteतुम्हारे झूठे परचार से!
धर्म का अब,
धोकेदार से!
कर्म का अब,
छोटी मार से!
दहशत का अब
दो हथियार से! 👌👌👌👌👌
Katil Lines
thanks a lot for this kind of love...
ReplyDeleteplease share ...
👌👌👌
ReplyDeleteIt's true but struggle is life so be positive.
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