Thursday, February 25, 2021

चिड़िया


वो नन्ही सी इस मुल्क की ही है
गद्दार मानी जा रही है,
तिनका तिनका पिरोया था घोसला बनाने में
आज उसी से उसकी पहचान मांगी जा रही है।
थक चुकी है वो
देख परेशान है
दौड़ने में न-काबिल
न-लड़ने की हिम्मत!
उसकी शहंशीलता आजमाई जा रही है
देख उससे उसकी पहचान मांगी जा रही है।
जब,तब जा चुके थे सब
उस तुफान के डर से
वो खड़ी थी तब
अकेली लड़ी थी तब
उसकी शक्ती आजमाई जा रही है!
देख उससे उसकी पहचान मांगी जा रही है।
जीत हुई तब
आ गए सब,कोई भेदभाव ना था
उम्र,जात,धर्म,लिन्ग,
सबका एक साथ सा था
उसकी एक-जुटता आजमाई जा रही है!
देख उससे उसकी पहचान मांगी जा रही है।
इर्ष्या करने वालो ने,अपने घर भरने थे
अपनी जीत की खातिर दो भाई अलग करने थे,
शुरु हुई जंग,
बे-डंग,
उनके पर काटे,
जिनका था अलग रंग-ओ-डंग,
उनको पहले दबाया गया,
बाहर आते ही गद्दार बनाया गया,
फिर शुरु हो गया खेल धर्म का
अपनी बचाकर उसकी ध्र्मात्मा मारी जा रही है!
देखो जरा ए-बाजो !!
चिरैया से चिरैया मारी जा रही है,
मुल्क से मुल्क की ही पहचान मांगी जा रही है।

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