Tuesday, March 2, 2021

उलझा रहता हूँ

 इस बहते शहर में ,

सिगरेट जलाना ,
उसकी याद आना ,
उसको अपना बनाना ,
बुझाना और पन्नों पर उतारना ,
बस उलझा रहता हूँ मैं ।

उसे भुलाना ,
इंतज़ार में बैठना ,
सर कंधे पर रखना ,
सो जाना , खो जाना ,
यादों में रहता हूँ मैं ,
बस उलझा सा सहता हूँ मैं।

वो गल्तियां , वो शर्मिंदगी ,
वो मांफीया , वो जिन्दगी ,
वो बातें , वो रातें ,
वो यादें ,
तेरा याद आना और खो जाना ,
देख रोता रहता हूँ मैं ,
बस उलझा सा सहता हूँ मैं ।

कभी बताना ,
तेरा यूं जाना ,
सिख छिपाना ,
तेरा आँशु आना ,
मैं लिखने का शौकीन हूँ ,
कभी आना कभी बताना ,
देख बैठ लिखता हूँ मैं ,
बस उलझा सा रहता हूँ मैं ।

मेरा ऐसा होना ,
तुझे न पाकर... भी खोना ,
वजह लिखना , बेवजह रोना ,
मन से कमजोर होना ,
एक अन्धेरे का खाली सा कोना ,
धुएँ में सांस लेना ,
दौड़ता सा रहता हूँ मैं ,
बस उलझा सा सहता हूँ मैं ।

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